2014 के शानदार जनमत के बाद मोदी सरकार का एक सफल वर्ष पूर्ण हो गया , सरकार के एक साल के काम काज को देखते हुए कह सकते हैं। " होनहार पूत के होत चिकन पात " , मोदी सरकार के एक वर्ष के कार्यों में सबका साथ सबका विकास की अवधारणा स्पष्ट लक्षित होती है, लोकतंत्र के सिद्धांत में मेरा विश्वास है कि किसी भी सरकार का उचित विश्लेषण चुनाव के माध्यम से ही होता है, और मीडिया , विपक्ष या बुद्धिजीवी वर्ग कुछ भी कहे पर मेरा मानना है कि भारतीय मतदाताओं की राजनीतिक समझ पूर्ण विकसित है , इस लिए विश्व के सबसे बड़े लोक तंत्र को अपरिक्कव समझना कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी भूल है
हमारे देश में ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व में आर्थिक सुधारों को जनविरोधी ,गरीब विरोधी कार्यक्रम की श्रेणी में रखा गया है पर मोदी जी का व्यक्तवय "आर्थिक सुधार लोगों के लिए होने चाहिए और इसका लाभ समाज के सबसे निचले क्रम में पहले पहुँचना चाहिए",और इस सोच को आगे बढ़ाते हुए चाहे वो किसानो को न्यूनतम मूल्य देने का विषय हो या गरीबो को खाद्य सुरक्षा की जिम्मेदारी हो ,और इस के लिए मोदी अभिनन्दन के पात्र है कि वो अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और विश्व व्यापार संघ की सोच को भी बदलने में सफल हुए हैं , मोदी जी ने अपनी नयी आर्थिक नीति से सम्पूर्ण अर्थ जगत को आकर्षित किया है ,भारतीय मीडिया ने इस उपलब्धि पर चर्चा शून्य मात्र की हो पर आगामी वर्षों में इस नयी आर्थिक नीति का गहन विश्लेषण अवश्य होगा
भारत में अत्यधिक जनसख्या गरीब स्तर की रेखा से नीचे आती है , पिछले 65 वर्षों में सरकार और इस गरीब बहु जनसँख्या के मध्य समबंध शून्य रहा है , पिछली सरकारों ने इस वर्ग के लिए कई लाख करोड़ की योजना बनाई पर सरकारी आकड़ों के मुताबिक इन योजनाओं में अत्यधिक भ्रष्टाचार ,संवाद हीनता और लक्ष्य विहीनता रही है ,मोदी जी ने जब पहली बार अपने संसदीय भाषण में इस सरकार को गरीबों को समर्पित किया तो लगा इस वर्ग के अच्छे दिन आने वाले हैं और इस सोच के साथ मोदी सरकार ने पहली बार इस बड़े वर्ग के साथ "प्रधान मंत्री जन धन योजना" के माध्यम से सीधा संवाद स्थापित किया है और कार्यक्रम की सफलता इसी बात से प्रमाडित होती है कि मानक समय में 15 करोड़ खाते खोले गए और इसी वर्ग की सामाजिक सुरक्षा को निश्चित करने के लिए जीवन ज्योति और अटल पेंशन योजना आरम्भ की और पहली बार निचले वर्ग के लिए बने कार्यक्रम में भ्रष्टाचार का शब्द शून्य रहा है और शायद मोदी इसी लिए कहते है " वादे नहीं इरादे चाहिए" ,
मोदी जी अपनी विदेशी यात्राओं के दौरान एक बात अवश्य कहते है कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है , और वो वैशिवक अर्थ जगत को सन्देश में सफल हुए है कि अगर युवा ऊर्जा को सही कौशल और प्रशिक्षण दिया तो ये ऊर्जा विश्व अर्थ व्यवस्था को अधिक मजबूत करेगी , मैं भारतीय राजनीति का पिछले 25 वर्षों से छात्र रहा हूँ और इतनी पारदर्शी , मजबूत और संवेदी विदेश नीति भारतीय पटल में कभी नहीं देखी है , मोदी जी एक बात के लिए बहुत आलोचना होती है कि विदेश में बसे भारतवंशियों से भारत की बात क्यों करते हैं , प्रधान मंत्री क्यों भारत में हो रहे परिवर्तन की बात इस समुदाय से करते है , पूर्व वर्ती सरकारों ने इस समुदाय को बहुत उपेछित किया , पहली बार मोदी सरकार ने इस इस वर्ग को भारत की एक शक्ति के रूप में देखा है और उससे उसी रूप में सम्मानित भी किया है , मोदी अपनी विदेश नीति में एक सन्देश देने में भी अत्यधिक सफल हुए है कि भारत की भूमिका किसी गुट में नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व शक्ति में समाहित है " और ये मोदी की एक बात को और प्रमाडित करता है कि " भारत विश्व समुदाय से आँख से आँख मिला कर बात करेगा "
अगले क्रम में लालफीता शाही , भूमि अधिग्रहण और किसानो की समस्याओं विश्लेषण करेंगे
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